नीब करौरी बाबा के चमत्कार - भाग १

।। जय श्री राम ।।

।। जय बजरंग बली ।।

नीब करौरी बाबा की जय 

बाबा जी विश्व विख्यात सिद्ध पुरुष रहे है उनसे आशीर्वाद लेने विश्व के बड़े बड़े धर्मात्मा, व्यापारी, चिकित्सक, राजनेता, अभिनेता कैंची धाम उत्तराखंड में आते रहे है। बाबा जी वैसे तो कभी प्रवचन नही देते थे परंतु जब किसी भक्त के मन में कोई संसय हो तो उसे दूर अवश्य कर देते थे प्रवचन के माध्यम से। एक बार की बात है बाबा जी अपने आश्रम में अपने भक्तो को प्रवचन दे रहे थे उनके जीवन के कष्ट दूर करने हेतु, उनकी बातें एक पंडित बड़ी ध्यान से सुन रहे थे, उनके मन में आध्यात्मिक साधना के लिए मार्गदर्शन पाने की कसक जाग उठी, लेकिन यह बात बाबा से कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अंतर्यामी बाबा उनके मन के भाव जान गए और सामने खड़े लोगों से बोले- "अरे भाई ! तुम लोग जरा उस पीछे खड़े पंडित जी को हमारे पास आने दो।" बाबा की बात सुनकर लोगों ने उन्हें आगे आने दिया। सामने आने पर बाबा उनसे बोले- "पं० जगदेव प्रसाद तिवारी नाम है न तुम्हारा?" "हाँ" बस, एक शब्द कहा उन्होंने। "तुम गायत्री जप करते हो न ?" इस सवाल का उत्तर भी उन्होंने अपनी संक्षिप्त 'हाँ' से दिया। तब बाबा ने फिर उनसे पूछा "अखण्ड-ज्योति पत्रिका भी तो पढ़ते हो ?" अबकी बार वह थोड़ा अचरज में पड़े और बोले- "हाँ बाबा"।

Neeb Karori Baba Ji



इस पर बाबा नीम करौली ने कहा- "तुम गायत्री मंत्र का जप करते हो, अखण्ड-ज्योति भी पढ़ते हो, फिर कमी क्या है?" फिर उन्होंने स्वयं ही अपने प्रश्न का उत्तर दिया - "कमी यह है कि तुम जो करते हो, उसके महत्त्व से परिचित नहीं हो। जो करते हो उसके महत्त्व को भी समझो। गायत्री ब्रह्मविद्या का मंत्र है। जो इसे श्रद्धा व मनोयोगपूर्वक करता है, उसे किसी अन्य साधना की जरूरत नहीं है। गायत्री साधना यदि निरंतर होती रहे, तो आगे के रास्ते स्वयं खुलते हैं। अंतर्यात्रा का पथ स्वयं प्रकाशित होता है। इसलिए जो कर रहे हो, उसे करते चले जाओ। अविराम, निर्बाध, श्रद्धा-भाव से, दीर्घ काल तक, फिर तुम देखोगे कि सब कुछ स्वयं प्रकट हो जाएगा।" नीम करौली महाराज जब ये बातें बता रहे थे, तब बीच में पं० जगदेव प्रसाद तिवारी ने अपनी शंका जाहिर करते हुए कहा- " मन में किसी संत का प्रत्यक्ष मार्गदर्शन पाने की चाहत होती है।"

इस बात पर बाबा बोले- "आध्यात्मिक साधनाओं का मार्गदर्शन करने के लिए तेरे पास अखण्ड-ज्योति है न, उसके लेखों से प्रकाश प्रवाहित होता है, उसी से तेरा कल्याण होगा। ब्राह्मण हो, साधना करते हो, फिर भी अखण्ड ज्योति की महिमा से अनजान हो। अरे ! सच को जानो, देखो मैं किसका नाम अपनी कॉपी में लिखता हूँ।" यह कहते हुए बाबा ने अपनी कॉपी उन्हें दिखाई, उस कॉपी में राम-राम-राम यही लिखा था। इतना कहकर उनसे वह धीरे से बोले- "जिनका नाम इस कॉपी में मैं लिखा करता हूँ, वहीं स्वयं अखण्ड-ज्योति लिखते हैं। अगर वह स्वयं को इतना छिपाकर न रखें तो लोग उनकी चरणधूलि को ताबीज बनाकर पहनने लग जाएँगे, फिर उनका धरती पर रहकर काम करना कठिन हो जाएगा। तुम साधना करते हो, इसलिए मैंने तुमको सच्चाई बता दी। अखण्ड-ज्योति के प्रति श्रद्धा ही तुम्हारी चेतना को उनसे जोड़ देगी, फिर सब कुछ स्वतः मिलता रहेगा। मैं जो कह रहा हूँ, उसे स्वीकारोगे तो अखण्ड-ज्योति का जीवन दर्शन तुम्हें स्वयं जीवन के सत्य स्वरूप का दर्शन करा देगा।"
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